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ज़िन्दगी गुलज़ार है

२ जनवरी – ज़ारून

आज मुझे अपनी करियर की पहली प्रमोशन मिली है. अब मुझे डिप्टी चीफ ऑफ़ मिशन बना कर क़ाहिरा भेजा आ रहा है और अगले दिनों में मैं वहाँ होऊंगा. मैंने मॉरिशस में अपनी पोस्टिंग को बहुत एन्जॉय किया है, क्योंकि ये बहुत ख़ूबसूरत मुल्क है. बिल्कुल एक परफेक्ट हॉलिडे स्पॉट की तरह. यहाँ थर्ड सेक्रेटरी के तौर पर भेजा गया था और अपनी टेनयूर के खात्मे से पहले ही मुझे तरक्की दे कर क़ाहिरा भेजा जा रहा है और मिस्र की सर-ज़मीन हर एक को ही पुर-असरार (रहस्यमयी) लगती है. मुझे भी ऐसा ही लग रहा है, हालांकि मैं पहले भी दो बार चंद दिनों के लिए मिस्र जा चुका हूँ. इसके बाजजूद एक लंबे अरसे के लिए वहाँ काम करना मुझे अजीब लग रहा है. 

अपनी ज़िन्दगी कभी-कभी एक राउंड-अबाउट की तरह लगती है. ये मुल्क, वो मुल्क, फिर पाकिस्तान, फिर कहीं और. कभी-कभी मैं बोर होने लगता हूँ. हालांकि, फॉरेन सर्विस मैंने इसी घूमने-फिरने के लिए ज्वाइन की थी, मगर खैर ज़िन्दगी ऐसी ही गुज़ारनी है. अब कभी-कभी मुझे तन्हाई महसूस होने लगती है. जैसे आज मैं ख़ुद को तन्हा महसूस कर रहा हूँ. रोज़ाना एक ही रूटीन होती है. घर से ऑफिस, ऑफिस से फिर घर और घर वापिस आने के बाद समझ नहीं आता कि क्या करना चाहिए. इधर-उधर फिरने के बावजूद बहुत बोरियत होती है. शायद अब मुझे शादी कर ही लेनी चाहिए. हो सकता है इसी वजह से तन्हाई महसूस करता हूँ और फैमिली ही मेरे अकेलेपन का इलाज हो, मगर प्रॉब्लम फिर वहीं पर आ जाती है कि शादी के लिए लड़की कहाँ से आयेगी. जो लड़कियाँ मुझे मिलती हैं, उनसे शादी नहीं कर सकता क्योंकि वे मेरा आइडियल नहीं है और जो मेरा आइडियल हैं, वो कहीं नज़र नहीं आती.

मैं अक्सर कोशिश करता हूँ कि यहाँ न सिर्फ पाकिस्तानी कम्युनिटी बल्कि दूसरी कम्युनिटीज की लड़कियों से भी मिलूं और उन्हें समझने की कोशिश करूं, लेकिन कोई भी लड़की मेरे मे’यार (कसौटी) पर पूरी नहीं उतरती. इनमें वही बे-बाकी है, जो मुझे नापसंद है. इसके बावजूद अब मुझे शादी कर ही लेनी चाहिए, क्योंकि अब तीस साल का हो गया हूँ और अपने वालिदान को ख़ासा नाराज़ भी कर चुका हूँ, क्योंकि उनका ख़याल है कि अब तक मुझे दो बच्चों का बाप होना चाहिए था.

मुझे ये सोच कर कभी हँसी आती है, जब मैं बाप बनूंगा, तो अपने बेटे की शादी के लिए इतने ही जतन करूंगा? मेरे सब दोस्तों की शादी हो चुकी है और पिछले माह जब मैं ओसामा की शादी पर आया था, तो बहुत देर तक उसे कशफ़ के हवाले से छेड़ता रहा था और वो मुझ पर बिगड़ता रहा था. अजीब बात है, जब भी ओसामा से मिलता हूँ, मुझे कशफ़ ज़रूर याद आती है. यकीनन अब तक उसकी शादी भी हो गयी होगी. वो कैसा आदमी होगा, ये तो नहीं जानता, हाँ मगर ख़ुश-किस्मत ज़रूर होगा, क्योंकि उसकी बीवी अच्छी है. मैं इन दो सालों में चार दफ़ा पाकिस्तान आया हूँ, मगर पूरी कोशिश के बावज़ूद मैं उसके बारे में कुछ नहीं जान पाया और ना ही मुझे अब उससे मिलने की कोई उम्मीद है, मगर उसके लिए दुआ करता हूँ कि वो जहाँ भी हो ख़ुश हो.

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2 Comments

Radhika

09-Mar-2023 04:26 PM

Nice

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Alka jain

09-Mar-2023 04:13 PM

शानदार

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